बाबा लाल दास बारे में

बाबा लालदास का परिचय

बाबा संत महात्माओं ने समय-समय पर इस पृथ्वी पर अवतरित होकर समस्त प्राणियों का अपने उपदेशों से कल्याण किया है । बाबा लालदास का जन भी ऐसी परिस्थितियों में देहात की मेव जाति में हुआ है । लालदास जी का जन्म श्रावण बुदी नाग पंचमी रविवार विक्रम संवत 1597 तदनुसार सन 1540 ईसवी रात्रि अलवर शहर से पाँच किलोमीटर दूर स्थित धौलीदूब नामक गाँव में हुआ । इनकी माता का नाम समदा तथा पिता चांदमल थेे । इनके जन्म के बारे में किवदंती है कि इन्होने अपनी माता की 85 वर्ष की उम्र में अमेथिन क्रिया यानि गर्भ में रूह द्वारा प्रवेश किया । स्वामी लालदास ने देहात में भगवान राम के प्रेम की पावन धारा प्रवाहित की। लालदास के पूर्व के तीन युगों सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में भी पृथ्वी पर अपूर्व कार्य किए । भक्तों में प्रचारित मान्यता कें अनुसार उन्होने सतयुग के राजा हरिशचन्द्र के रूप में सत्यव्रत का पालन किया । त्रेतायुग में ाक्त प्रहलाद के रूप में अवतार लेकर संसार को भगवत भक्ति की ओर अग्रसर किया इसी प्रकार द्वापर युग में युधिष्टर के रूप में जन्म लेकर धर्मराज की उपाधि ग्रहण की । कलियुग में स्वामी लालदास के रूप में वे उद्धारक बने । इन्होने अपना जीवन -यापन सूाी लकडियों को बेचकर किया । स्वामी लालदास निगुर्ण भक्ति के उपासक थे, इन्होने 68 वर्ष की उम्र तक भगवान राम की भक्ति की और ज्ञान प्राप्त कर राम नाम का उपदेश देना शुरू किया । वे धर्म और जाति के भेदभाव व ऊंच-नीच के विरोधी थे ।
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